यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय Class 10th
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प्रश्न 1. राष्ट्रवाद क्या है?
उत्तर– राष्ट्रवाद एक ऐसी भावना है,जो किसी विशेष भौगोलिक संस्कृति की याद सामाजिक परिवेश में रहने वालों के बीच एकता की भावना का वाहक बनती है
फ्रांसीसी क्रांति और राष्ट्र का विचार
राष्ट्रवाद की पहली स्पष्ट अभिव्यक्ति 1789 में फ्रांसीसी क्रांति के साथ हुई।
फ्रांसीसी क्रांतिकारियों द्वारा फ्रांसीसी लोगों के बीच सामूहिक पहचान की भावना पैदा करने के लिए उठाए गए कदम।
- La patrie और Le citoyen के विचार
- नया फ्रांसीसी झंडा
- एस्टेट्स जनरल को चुना गया और उसका नाम बदलकर नेशनल असेंबली रखा गया
- नई स्तुतियाँ रची गई और शपथ ली गई
- केंद्रीकृत प्रशासनिक व्यवस्था प्रणाली
- आंतरिक आयात -निर्यात शुल्क समाप्त कर दिए गए
- भार और माप की एकसमान प्रणाली लागू की गई
- फ्रांसीसी को आम लोगों की भाषा बनायी गई
नेपोलियन
फ्रांस में 1799 से 1815 तक शासन किया। 1799 में प्रथम राजदूत बनकर पूर्ण अधिकार प्राप्त किया।
1804 की नागरिक संहिता अथवा नेपोलियन की संहिता:
- कानून के समक्ष बराबरी और सम्पति के अधिकार को सुरक्षित बनाया।
- प्रशासनिक विभाजन को सरल बनाया।
- सामंती व्यवस्था को समाप्त किया।
- किसानों को भू -दासत्व और जागीदारी शुल्कों से मुक्ति दिलाई।
- यातायात और संचार प्रणालियों में सुधार किया गया।
- नेपोलियन ने राजनीतिक स्वतंत्रता छीन ली, करों में वृद्धि की, सेंसरशिप लगाई और लोगों को फ्रांसीसी सेना में शामिल होने के लिए मजबूर किया।
प्रश्न 2.मेजिनी कौन था?
उत्तर- मेंजिनी मुख्त: एक साहित्यकार था लेकिन उसे राजनीतिक से भी प्रेम था वह कुछ दिनों तक एक क्रांतिकारी और गुप्त संगठन कार्बोनरी से जुड़ा रहा था लेकिन वह गणतंत्र में विश्ववास रखता था।
प्रश्न 3. जर्मनी के एकीकरण की बढ़ाएं क्या-क्या थी?
उत्तर- जर्मनी के एकीकरण की अनेक बढ़ाएं थी वह लगभग 300 छोटे बड़े राज्यों में बांटा हुआ था। इन सभी राज्यों के प्रमुखों की अपनी अपनी सोच थी धार्मिक और जातीय रूप से भी एक नहीं थे।
यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय Class 10th
प्रश्न 4 मेटरनिख युग क्या है?
उत्तर- मेटरनिख ही पुरातन व्यवस्था का समर्थन था नेपोलियन द्वारा स्थापित एकता उसे पसंद नहीं थी इटली पर अपना प्रभाव जमाने के लिए उसने उसे कई राज्य में विभाजित कर दिया। इसी युग इटली पर अपना प्रभाव जमाने को मेटरनिख युग कहते हैं।
क्रांतियों की आयु: 1830-1848
- फ्रांस में जुलाई 1830 में बूर्बों राजाओं को उखाड़ फेंका गया और एक संवैधानिक राजतंत्र स्थापित किया गया।
- बेल्जियम नीदरलैंड के संयुक्त राज्यों से अलग हो गया।
- पंद्रहवीं शताब्दी के बाद से ग्रीस, जो ओटोमन साम्राज्य का हिस्सा था, आजादी के लिए संघर्ष आरम्भ किया।
- कुस्तुनतुनिया की संधि ने 1832 में ग्रीस को एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता दे दी।
यूरोप में राष्ट्रवाद
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. 1848 के फ्रांसीसी क्रांति के क्या कारण थे?
उत्तर– फ्रांस का शासक लुइ फिलिप उदारवादी था लेकिन वह महत्वाकांक्षी भी था। उसने 1840 ईस्वी में गजों को प्रधानमंत्री नियुक्त किया। जो कटर प्रतिक्रिया वाली था। राज्य में वह किसी भी सुधार को लागू करने के पक्ष में नहीं था राजा लुई फिलिप भी अमीर का साथ पसंद करता था उसके पास कोई सुधार आत्मक कार्यक्रम नहीं था देश में भुखमरी और बेरोजगारी चरम पर थी सफलता सुधारवादी रहने लगे। 1848 के फ्रांसीसी क्रांति के लिए यही सभ कारण थे।
प्रश्न 2. इटली और जर्मनी के एकीकरण में ऑस्ट्रिया की क्या भूमिका थी?
उत्तर– इटली का एकीकरण—ऑस्ट्रेलिया और पीडमाउन्ट में सीमा को लेकर विवाद था इस कारण ऑस्ट्रेलिया और इटली के युद्ध शुरू हो गया युद्ध 1859 में प्रारंभ हुआ और 18 से 60 तक चला युद्ध में इटली के समर्थन में फ्रांस ने अपनी सेना उतार दी। ऑस्ट्रिया सी बुरी तरह परास्त हुई। हेलो ऑस्ट्रेलिया के एक बड़े राज्य लोंबार्ड पर पिडमाउंट का अधिकार हो जाने से इटली एक बड़े राज्य के रूप में सामने आ खड़ा हुआ। काबुल मध्य तथा उत्तरी इटली को इटली में मिलना चाहता था इतना ही नहीं,रोन को छोड़ संपूर्ण इटली के एकीकरण में कबूल को सफलता मिल गई।ऑस्ट्रिया को चुप बैठ जाना पड़ा।
जर्मनी का एकीकरण—1806 में नेपोलियन बोनापार्ट ने जर्मन क्षेत्र को जीत कर राइन राज्य संघ का गठन किया। इसी के बाद जर्मन वासियों ने राष्ट्रवाद की भावना बढ़ाने लगी लेकिन दक्षिणी जर्मनी के लोग एकीकरण के विरोध में थे जर्मनी में विरोध की स्थिति पैदा होने लगी, जिसे ऑस्ट्रेलिया और प्रशा ने मिलकर दबा दिया। प्रसाद जर्मनी का एकीकरण अपने नेतृत्व में करना चाहता था, जिसके लिए वह अपनी सैन्य शक्ति बढ़ने लगा। सैन्य शक्ति तथा कूटनीति के चलते जर्मनी के एकीकरण में वह सफल हो गया तथा बिस्मार्क को जर्मनी का चांसलर नियुक्त कर दिया।
इस प्रकार इस एकीकरण में भी ऑस्ट्रेलिया है मूल में था।
यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय Class 10th Chapter 1
प्रश्न 3. यूरोप में राष्ट्रवाद को फैलाने में नेपोलियन बोनापार्ट किस तरह सहायक हुआ?
उत्तर- नेपोलियन बोनापार्ट ने जो जर्मनी और इटली में राष्ट्रीयता की स्थापना में मदद पहुंचाई, बल्कि संपूर्ण यूरोप के देशों में राष्ट्रीयता को लेकर उथल-पुथल आरंभ हो गया। इस राष्ट्रीयता के मूल में राष्ट्रीयता की भावना के साथ है लोकतांत्रिक विचारों का भी उदय हुआ। हंगरी बोहेमिया तथा यूनान में स्वतंत्रता आंदोलन इसी राष्ट्रवाद का परिणाम था।
इसी आंदोलन के प्रभाव के कारण उस्मानिया साम्राज्य का पतन हो गया और वह तुर्की तक में ही सीमेंट कर रह गया राष्ट्रवाद के कारण है
बाल्कन क्षेत्र के सलाह जाति को संगठित होने का मौका मिला और सर्बियान ,नामक नए देश का जन्म हुआ।
प्रश्न 4.गैरीबाल्डीके कार्यों की चर्चा करें।
उत्तर- गैरीबाल्डी सशस्त्र क्रांति का समर्थन था वह इटली के रियासतों का एकीकृत करके इटली में गणतंत्र की स्थापना करना चाहता था। वह मैजिनी के विचारों को मानता था, किंतु बाद में काबुल के प्रभाव में आकर संवैधानिक राजतंत्र का समर्थक बन गया। उसने अपने लोगों को मिलाकर एक से का गठन किया और सुना के बल पर इटली के सीसरली तथा निपल्स पर अधिकार जमा लिया। उसने विक्टर इमानुएल के प्रतिनिधि के रूप में वहां की सत्ता संभाल ली। वह रूम पर आक्रमण करना चाहता था लेकिन काबुल के कहने से उसने यह योजना त्याग दी। उसने बहुत कुछ किया किंतु कहीं का शासक बनने से इनकार कर दिया। इस त्याग से विश्वभर में उसकी प्रशंसा हुई।
प्रश्न 5 विलियम प्रथम (1) के बगैर जर्मनी के एकीकरण बिस्मार्क के लिए असंभव था।कैसे?
उत्तर- विलियम प्रथम 1 जिसे फ्रेडरिक विलियम भी कहा जाता है, बिस्मार्क के लिए बड़े ही महत्व का था। 1848 ई को पुरानी संसद को फ्रैंकफर्ट मैं बुलाया गया। वहां यह निर्णय लिया गया की फैक्ट्री विलियम जर्मन राष्ट्र का नेतृत्व करेगा और उसी के नेतृत्व में समस्त जर्मन राज्यों को एकीकृत किया जाएगा। लेकिन विलियम ने इसको मानने से इनकार कर दिया। जब बिस्मार्क को जर्मनी का चांसलर नियुक्त कर दिया गया तो देश की एकता और शांति स्थापित करने से वह विलियम को आवश्यक मानने लगा। क्योंकि फ्रेंड फोर्ट के निर्णय को वह भूला नहीं था।
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जर्मनी और इटली का निर्माण
जर्मनी
- प्रशा की सेना और नौकरशाही की मदद से ओटो वैन बिस्मार्क ने राष्ट्रीय एकीकरण के लिए आंदोलन का नेतृत्व किया था।
- सात वर्षों के दौरान तीन युद्धों में प्रशिया की जीत हुई और एकीकरण की प्रक्रिया पूरी हुई।
- प्रशा के कैसर विलियम प्रथम ने नए जर्मन साम्राज्य का नेतृत्व किया।
इटली
- इटली सात राज्यों में बॉंटा हुआ था जिनमें से केवल एक सार्डिनिया पीडमॉन्ट पर एक इतालवी राजघराने का शासन था।
- ज्यूसेपे मेत्सिनी ने द्वारा एक एकीकरण कार्यक्रम का शुरुआत किया गया था लेकिन यह असफल रहा।
- मंत्री प्रमुख कैवोर ने ग्यूसेप गैरीबाल्डी की मदद से आंदोलन का नेतृत्व किया था।
- 1861 में विक्टर इमैनुएल द्वतीय को एकीकृत इटली का राजा घोषित किया गया था।
ब्रिटेन का अजीब दास्तान
- 1688 में संसद के माध्यम से एक राष्ट्र-राज्य का निर्माण हुआ जिसके केंद्र में इंग्लैंड था।
- अंग्रेजी संसद ने राजशाही से ताकत छीन ली थी।
- यूनियन अधिनियम 1707 के परिणामस्वरूप ‘यूनाइटेड किंगडम ऑफ ग्रेट ब्रिटेन’ का गठन हुआ।
- असफल क्रांति के बाद 1801 में आयरलैंड को बलपूर्वक यूनाइटेड किंगडम में शामिल कर लिया गया।
- नया ‘ब्रितानी राष्ट्र’ का निर्माण किया गया और एक प्रमुख एंग्लो संस्कृति का प्रचार-प्रसार किया
यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय Class 10th Chapter 1
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. इटली के एकीकरण में जर्मनी काबुल और गैरीबाल्डी के योगदानों को बताएं।
उत्तर- मेजिनी कलम के साथ तलवार में भी विश्वास रखता था। वह साहित्यकार के साथ ही एक युग सेनापति भी था। लेकिन उसे राजनीति की अच्छी समझ नहीं थी। बार-बार की असफलता के बावजूद वह हार मानने वाला नहीं था।
1848 ईस्वी में यूरोपीय क्रांति के दौर में मैजिनी को ऑस्ट्रेलिया छोड़ना पड़ा। बाद में वह इटली को राजनीतिक मे सक्रिय हो गया। वह संपूर्ण इटली का है कि कारण और उसे गणराज्य बनाना चाहता था।
लेकिन जब ऑस्ट्रिया ने इटली में चल रहे जनवादी आंदोलन को दबा दिया तो मैजिनी को वहां से भागना पड़ा।
यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय Class 10th Chapter 1
प्रश्न 2. जर्मनी के एकीकरण में विस्मार्क की भूमिका का वर्णन करें।
उत्तर- विस्मार्क जर्मन संसद (डायट) में अपने सफल कूटनीतिज्ञ होने का लगातार परिचय देता आ रहा था। वह निरंकुश राजतंत्र का समर्थन के साथ जर्मनी के एकीकरण के प्रयास में भी जुड़ा था। उसकी कूटनीतीज्ञ सफलता थी। कि उदारवादी और कट्टरवादी —दोनों ही विस्मार्क को अपना समर्थक समझते थे। विस्मार्क ‘रक्त और लौह नीति’ का अवलंबन करते हुए जर्मनी के एकीकरण के लिए सैन्य शक्ति बढ़ाना चाहताथा । उसने अपने देश में अनिवार्य सैन्य सेवा’ लागू कर दी।जिस एक विस्मार्क ने प्रशा को मजबूत करने का प्रयास किया ताकि जर्मनी के एकीकरण में आस्ट्रिया अवरोध खड़ा करने की स्थिति में नहीं रहे। लेकिन अपनी कूटनीतिक जाल में फंसाकर उसने आस्ट्रिया से संधि कर ली।
1864 में श्लेशविग और हॉलेस्टीन राज्यों को मुद्दा बनाकर उसने डेनमार्क पर आक्रमण कर दिया, क्योंकि ये दोनों राज्य इसी के अधीन थे। विजयी होने के बाद श्लेशविग प्रशा को मिला तथा हॉलेस्टीन आस्ट्रिया को ।इन दोनों राज्यों में जर्मन मूल के लोगों की संख्या अधिक थी। इस कारण प्रशा ने जर्मन राष्ट्रवादी भावना भड़का कर विद्रोह फैला दिया। इस विद्रोह को आस्ट्रिया रोकना तो चाहताथा, किन्तु प्रशा से होकर ही उसे वहाँ जाना था, जिसके लिए काबूर ने उसे मना कर दिया ।विस्मार्क ओस्ट्रिया से युद्ध अवश्यक मानता था।
लेकिन उसकी मंशा थी कि दुनिया आस्ट्रिया को ही आक्रमणकारी समझे।
दोनों में युद्ध शुरू हो गया,जबकि फ्रांस तटस्थ बना रहा। आस्ट्रिया ने 1866 ई. में प्रशा के खिलाफ सेडोवा में युद्ध की घोषणा कर दी।
यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय Class 10th Chapter 1
प्रश्न 3. राष्ट्रवाद के उदय और प्रभाव की चर्चा कीजिए।
उत्तर- राष्ट्रवाद का उदय फ्रांस की क्रांति के फलस्वरूप हुआ। क्रांति की सफलता से पूरे यूरोप में राष्टवाद का लहर उठ गया। फलस्वरूप अनेक छोटे-बड़े राष्ट्रों का उदय हुआ । बाल्कन क्षेत्र के छोटे राज्य एवं जातियों के समूहों में भी राष्ट्रवाद की भावना पनपने लगी। जर्मनी, इटली, फ्रांस, इंग्लैंड जैसे देशों में तो राष्ट्रवाद इतनी कट्टरता से उपर कि साम्राज्यवाद फैलाने में ये एक-दूसरे से होड़ करने लगे। यह राष्ट्रवाद का नकारात्मक एवं घृणित पक्ष था । औद्योगिक क्रांति की सफलता भी कट्टर राष्ट्र वादिता को हवा देने लगी। ये बड़े साम्राज्यवादी सर्वप्रथम एशिया और बाद में अफ्रीका को अपना निशाना बनाने लगे। इसके लिए इनमें अनेक युद्ध भी हुए। जो जितना शक्तिशाली था,वह उतना ही बड़े भाग पर कब्जा जमा बैठा।
इन उपनिवेश वादियों ने जहाँ अपनी जड़ जमाई वहाँ उन्होंने खुलकर शोषण किया। उपनिवेशों से उन्हें दो लाभ प्राप्त हुए। एक तो उद्योगों के लिए कच्चा माल आसानी से मिलने लगा और दूसरा यह कि तैयार माल का बाजार भी हाथ में आ गया। भारत के लिए इंग्लैंड, फ्रांस,पुर्तगाल और हॉलैंड में युद्ध हुआ, जिसमें इंग्लैंड विजयी रहा। हॉलैंड को तो भारत छोड़ना ही पड़ा, पुर्तगाल और फ़्रांस एक कोने में सिमट कर रह गए। अफ्रीका को तो इन्होंने बपौती जमीन की तरह बटा ।यह राष्ट्रवाद का घिनौना प्रभाव था।
फ्रांस की संसद एवं उदारवादियों ने पोलिग्ने की कड़ी भर्तसना की । चार्ल्स दसवें ने इस विरोध की प्रतिक्रिया में 25 जुलाई, 1830 ई. को चार अध्यादेशों द्वारा उदारवादियों को तंग करने का प्रयास किया। इन अध्यादेशों का पेरिस में स्थान-स्थान पर विरोध होने लगा। इसके चलते 28 जून, 1830 ई. में फ्रांस में गृह युद्ध आरम्भ होगया। वास्तव में यही जुलाई 1830 की क्रांति थी । क्रांति सफल हुई ।
प्रश्न 4. जुलाई, 1830 की क्रांति का विवरण दीजिए
उत्तर— फ्रांस का शासक चार्ल्स दसवाँ निरंकुश तो था ही, घोर प्रतिक्रियावादी भी था। उसने फ्रांस में उभरी राष्ट्रीयता को तो दबाया ही,जनतांत्रिक भावनाओं को भी कड़ाई से दबाने का काम किया। उसके द्वारा संवैधानिक जनतंत्र की राह में अनेक रोड़े खड़े किए गए। उसने ‘पोलिग्नेक’ को प्रधानमंत्री नियुक्त किया जो उससे भी बड़ा प्रतिक्रियावादी था ।
उसने पहले से चली आ रहीं समान नागरिक संहिता के स्थान पर शक्तिशाली अविभाजित वर्ग को विशेषाधिकार से विभूषित किया उसके इस कदम को उदारवादियों ने चुनौती समझा। उन्हें यह भी संदेह हुआ कि क्रांति के विरुद्ध यह एक षड्यंत्र है। फ्रांस की संसद एवं उदारवादियों ने पोलिग्ने की कड़ी भर्तसना की । चार्ल्स दसवें ने इस विरोध की प्रतिक्रिया में 25 जुलाई, 1830 ई. को चार अध्यादेशों द्वारा उदारवादियों को तंग करने का प्रयास किया। इन अध्यादेशों का पेरिस में स्थान-स्थानपर विरोध होने लगा। इसके चलते 28 ज।5 यूनानी स्वतंत्रता आन्दोलन का संक्षिप्त विवरण दें।
प्रश्न 5. यूनानी स्वतंत्रता आन्दोलन का संक्षिप्त विवरण दें।
उत्तर—फ्रांसीसी क्रांति से प्रभावित होकर यूनानियों में राष्ट्रीयता की भावना जग गई।कारण कि एक तो सभी यूनानियों का धर्म और उनकी जाति-संस्कृति एक थी, दूसरे कि प्राचीन यूनान सभ्यता, संस्कृति, साहित्य, विचार, दर्शन,कला, चिकित्सा विज्ञान आदि के क्षेत्र में न केवल यूरोप का बल्कि पूरे विश्व का अगुआ था। इसके बावजूद आज वह उस्मानिया साम्राज्य के एक अंग के रूप में जाना जाता था। फलतः तुर्की के विरुद्ध आन्दोलन आरम्भ हो गया । आन्दोलन में मध्य वर्ग का सहयोग मिलने लगा जो काफी शक्तिशाली था ।यूनान की स्थिति तब और विकट हो गई, जब तुर्की ने यूनानी आन्दोलन कारियों को भी एक-एक कर दबाना शुरू कर दिया।
1821 ई. में यूनानियों ने विद्रोह शुरू कर दिया।रूस तो यूनानियों के पक्ष में था,लेकिन आस्ट्रिया के दबाव के कारण वह खुल करबी सामने नहीं आ रहा था। लेकिन जार निकोलस खुलकर यूनान का समर्थन करने लगा। एक प्रकार से सम्पूर्ण यूरोप से यूनान को समर्थन मिलने लगा। यूनान और तुर्की में युद्ध छिड़ गया। अनेक देश यूनानियों के पक्ष में आए, किन्तु तुर्की के पक्ष में केवल मिस्र ही सामने आया। युद्ध में यूनानी विजयी रहे। तुर्की और मिस्र दोनों हार गए इसके बावजूद यूनान को पूर्ण स्वतंत्रता नहीं मिली। वह पूर्ण स्वतंत्र तब हुआ जब 1832ई. में उसे एक स्वतंत्र राष्ट्र मान लिया गया।

राष्ट्रवाद और साम्राज्यवाद
- बाल्कन क्षेत्र में आधुनिक रोमानिया, बुल्गारिया, अल्बानिया, ग्रीस, मैसेडोनिया, क्रोएशिया, बोस्निया-हर्जेगोविना, स्लोवेनिया, सर्बिया और मोंटेनेग्रो शामिल थे।
- बाल्कन भौगोलिक और जातीय भिन्नता का एक क्षेत्र था जो ओटोमन साम्राज्य के नियंत्रण में था।
- रूमानी राष्ट्रवाद के विचारों और ऑटोमन साम्राज्य के विघटन से स्थिति काफी विस्फोटक हो गई थी।
- बाल्कन राज्य एक-दूसरे से भारी ईर्ष्या करते थे और प्रेत्यक राज्य ज्यादा से ज्यादा इलाका हथियाना चाहता था।
- यूरोपीय शक्तियाँ भी इस क्षेत्र पर अपना नियंत्रण बढ़ाने की कोशिश कर रही थीं।
- इसके कारण इस क्षेत्र में कई युद्ध हुए और अंततः प्रथम विश्व युद्ध हुआ।
यूरोप में राष्ट्रवाद के कोई भी प्रश्न अब आप बड़े आसानी से बना सकते है बस आप को इन प्रश्न को कई बार पढ़ लेना
यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय
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